Friday, 30 October 2015

तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा

भोगा न भुक्ता वयमेव भुक्ता:,
तपो न तप्तं वयमेव तप्ता: ।
कालो न यातो वयमेव याता:,
तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णा: ।।
☝☝ हम सांसारिक विषय भोगों का उपभोग नहीं कर पाये, अपितु उन भोगों को प्राप्त करने की चिंता ने हमको भोग लिया ।
🙏 हमने तप नहीं किया, बल्कि आध्यात्मिक, आधिभौतिक, आधिदैविक ताप हम को ही जीवन भर तपाते रहे ।
🌷 भोगों को भोगते भोगते हम काल को नहीं काट पाये, अपितु काल ने हमको ही नष्ट कर दिया ।
🌹 इसी प्रकार भोगों को प्राप्त करने की तृष्णा तो बूढी नहीं हुई अपितु हम ही बूढ़े हो गये ।🙏🙏🙏
🌷 भतृहरि वैराग्य शतकम् 🌷

सुप्रभात । भास्कर पाठक
9999304525

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