भिद्यते हृदयग्रन्थि:
छिद्यन्ते सर्वसंशया: ।
क्षीयन्ते चास्य कर्माणि
तस्मिन्दृष्टे परावरे ।।
(मुण्डकोपनिषद् 2/1/18)
☝ईश्वर का साक्षात्कार होने पर आत्मा की अविद्या नष्ट हो जाती है । सारे संशय मिट जाते हैं और सारे कुसंस्कारों का नाश हो जाता है ।🌹🙏
सुप्रभात । नमस्ते ।
भास्कर पाठक
9999304525
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